Friday, August 17, 2007

प्रतिभा पाटिल-नवनिर्वाचितPresident
प्रतिभाताई पाटिल के President बनने से अब अपने देश पर उस विदेशी महारानी के एकछत्र साम्राज्य के पुष्टिकरण का एक महत्वपूर्ण संकेत है, जिसकी सेवा में अपने देश के प्रधानमन्त्री मनमोहन सदैव नतमस्तक रहते हैं।
प्रतिभाताई अपने किन्हीं नैतिक- राजनैतिक अथवा प्रशासनिक गुणों के कारण President निर्वाचित नहीं हुईं, वरन् एक परिवार के प्रति अपनी अप्रतिम निष्ठा के कारण। वह एक स्त्री होने के कारण भी इस पद पर नहीं पहुंचीं हैं, अपितु इस अभागे देश की राजनीति में राष्ट्रवाद, सच्चरित्रता व इमानदारी के प्रति प्रबल विरोध के कारण। नहीं तो क्या कारण था उनके समर्थन में मतदान का, जबकि उन पर अनेकों प्रकार के आर्थिक-आपराधिक घोटालों का आरोप था?, उनके प्रतिद्वन्द्वी श्री भैरोंसिंह शेखावत द्वारा अपनी सम्पत्ति का व्यौरा दिये जाने पर भी प्रतिभा के समर्थकों ने ऐसी किसी घोषणा की आवश्यकता नहीं समझी?, जनप्रतिनिधियों के एक समूह द्वारा President चुनाव के बहिष्कार की घोषणा से व्यथित राष्ट्रवादियों के एक समूह द्वारा चुनाव आयोग से इस अप्रजातांत्रिक अपराध को रोकने की प्रार्थना की,तो चुनाव आयोग ने वह याचिका अस्वीकार कर दी?,उपराष्ट्रपति के पद पर श्री भैरोंसिंह शेखावत के निष्पक्ष व्यवहार की सर्वत्र स्वीकर्यता होते हुए भी जनप्रतिनिधियों ने एकपक्षीय-एक परिवार के प्रति निष्ठावान-अनेकों आपराधिक मामलों व सत्ता के दुरुपयोग के गम्भीर मामलों की आरोपी प्रतिभा को चुना?
सत्तापक्ष द्वारा प्रतिभा का इस पद के लिये नामांकन भी कम निराशाजनक नहीं है। डॉ. कर्ण सिंह का नामांकन इसलिये नहीं हुआ क्योंकि Secular
राजनेताओं की दृष्टि में वह एक व्यवहारिक हिन्दु हैं और एक धर्मनिष्ठ हिन्दु इस पद के योग्य नहीं तथा दूसरे सम्भावित शिवराज पाटिल पर उनके लोकसभा अध्यक्ष कार्यकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति उनके नरम व्यवहार के कारण उनका नामांकन नहीं हो पाया।
कोई भी सच्चरित्र राष्ट्रभक्त इस नवनिर्वाचित President के प्रति श्रद्धा अथवा आदर कैसे रखे, यही इस चुनाव से उपस्थित स्थिति का प्रश्न है।


डॉ. जयप्रकाश गुप्त
chikitsak@rediffmail.com,chikitsakambala@yahoo.com

No comments: