Sunday, April 5, 2009

धर्मनिरपेक्षता और भारतीय राजनीति

भारतीय समाज यों तो अनेक प्रकार से विभाजित है यथा जाति- पन्थ- वर्ग- समुदाय- भाषा आदि आदि, किन्तु एक आयातित शब्द व विचारधारा SECULARISM ने भारतीय राजनीति को जिस प्रमाण में प्रभावित किया है, सम्भवत: किसी अन्य ने नहीं किया। भारतीय राजनीति के दो मुख्य ध्रुव हैं- एक हैं SECULAR व दूसरे COMMUNAL. यद्यपि यह दोनों शब्द मूलत: विदेशी हैं व विचार भी विदेशी किन्तु अपने प्रगतिशील राजनेताओं व बुद्धिजीवियों के लिये ये ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। यहां यह स्पष्ट कर देना उत्तम होगा कि SECULARISM नामक विचारधारा पश्चिमी राज्यों में CHURCH द्वारा किए गए अमानवीय अत्याचारों व शासन में अनुचित हस्तक्षेप के कारण उस समाज में उस अत्याचार से बचाव के अस्त्र के रूप में जन्मी व विकसित हुई तथा उन्हीं सभ्यताओं में समाज के विभिन्न वर्गों को COMMUNES नाम से जानने के कारण तथा विभिन्न COMMUNES में हिंसक संघर्षों की विद्यमानता से COMMUNAL शब्द अस्तित्व में आया। भारत में ऐसी स्थिति कभी नहीं थी। न तो यहां RELIGION व COMMUNE जैसे शब्द थे तथा न ही विचार। धर्म नाम से जिस विचार का प्रतिपादन भारतीय परम्परा में किया गया उसका RELIGION, सम्प्रदाय, मत, पन्थ अथवा मजहब से कोई सम्बन्ध नहीं है, किन्तु तो भी पराधीन भारतीय मानस ने धर्म को RELIGION का पर्याय स्वीकार कर यह विनाशकारी खेल भारत की राजनैतिक स्वाधीनता से पूर्व ही प्रारम्भ कर दिया गया था। इसी स्वीकारोक्ति ने १९४७ में भारत का विभाजन कराया तथा यही विचारधारा आज पुन: भारतमाता के रूप में राष्ट्रीय स्वाभिमान को प्रतिष्ठित करने का स्वप्न देखने वालों के लिए सबसे भयंकर चुनौती बनी हुई है। धर्मनिरपेक्षता नाम से SECULARISM शब्द का अनुवाद करने वालों को साधुवाद, क्योंकि वास्तव में भारत में यही इसका व्यवहारिक अर्थ है।
SECULARISM में अंग्रेजी व उर्दू स्वीकार्य हैं हिन्दी नहीं।
SECULARISM में स्वयं को हिन्दु से पृथक कहने वाले उत्तम हैं, हिन्दु निकृष्ट।
SECULARISM में भारत कभी एक राष्ट्र था ही नहीं अंग्रेजों व कांग्रेस ने यह राष्ट्र बनाया अत: इस राष्ट्र के पति (HUSBAND अथवा स्वामी) कांग्रेस के सबसे बड़े नेता म. गांधी हैं व इस देश की राष्ट्रभाषा अंग्रेजी।
SECULARISM का अर्थ है कि राम एक मिथ्या पात्र हैं तथा इसी प्रकार अपने वेद- पुराण- रामायण- महाभारत आदि सभी काल्पनिक व मिथ्या हैं, जबकि क़ुरान व BIBLE पवित्र ग्रन्थ हैं। अत: हिन्दु को ईसाई अथवा मुसलमान बनाना पवित्र कृत्य हैं व प्रोत्साहन योग्य।
SECULARISM आयुर्वेद, योग, ज्योतिष, तन्त्र, दर्शन आदि को त्याज्य मानता है।
SECULARISM वन्देमातरम को, रामजन्मस्थान- अयोध्या, व प्रत्येक हिन्दु विचार को त्याज्य व हेय मानता है।
SECULARISM की गौरवशाली गाथाओं से भारत के इतिहास के असंख्य पृष्ठ भरे पड़े हैं। आज इन पर दृष्टिपात करने का अवसर है।
आइये अपने निजी स्वार्थों की तिलाजलि दे इस लोकसभा चुनाव में SECULARISM के इस भयंकर राक्षस का वध करके अपने राष्ट्र की अस्मिता को अक्षुण्ण बनाएं।
डॉ. जय प्रकाश गुप्त, अम्बाला छावनी।
+९१-९३१५५१०४२५

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